याद घर बुलाने लगी—प्रवचन—इकतीसवां
जिन सूत्र–(भाग–2)
सूत्र:
ण वि दुक्खं ण वि सुक्खं, ण वि पीडा णेव विज्जदे बाहा।
णवि मरणं ण वि जणणं,तत्थेव य होई णिव्वाणं।। 156।।
ण वि इंदिय उवसग्गा, तत्थेव य होइ णिव्वाणं।
ण य तिण्हा णे व छुहा, तत्थेव य होइ णिव्वाणं।। 157।।
ण वि कम्मं णोकम्मं, ण वि चिंता णेव अट्टरूद्दाणि।
ण वि धम्मसुक्कझाणे, तत्थेव य होइ णिव्वाणं।। 158।। Continue reading “जिन सूत्र-(भाग-2)प्रवचन-62”