उपलब्धि के अंतिम चरण—(प्रवचन—बीसवां)
दिनांक: 20 मार्च, 1974; श्री रजनीश आश्रम, पूना
सूत्र:
पारब्रह्म के तेज का, कैसा है उनमान।
कहिवे को सोभा नहीं, देखा ही परमान।।
एक कहौं तो है नहीं, दोय कहौं तो गारि।
है जैसा तैसा रहे, कहै कबीर विचारि।।
ज्यों तिल माहीं तेल है, चकमक माहीं आग।
तेरा साईं तुज्झ में, जागि सकै तो जाग।। Continue reading “सुन भई साधो-(प्रवचन-20)”